اللغة القبطية كُتِبَت بحروف يونانية مدة من الزمن قبل الديانة المسيحية. وقد استعملت اللغة القبطية حروف الهجاء اليونانية كلها بنطقها ومزاياها التي كانت لها في ذلك العهد، وأضافت على الأبجدية اليونانية سبعة حروف اقتبستها من الكتابة الديموطيقية Demotic writing للتعبير عن النطق بسبعة أصوات لا توجد في اللغة اليونانية، وهي: S F Q H J { }
الأبجدية القبطي(1)
نطق الحروف |
أسماء الحروف عربيًا |
أسماء الحروف قبطيًا |
الحروف الصغيرة |
الحروف الكبيرة |
|
أ، ا |
a |
ألفا |
alva |
a |
A |
ب،ف |
b |
بيتا |
byta |
b |
B |
ج، غ، ن |
g, gh, n |
غما |
gamma |
g |
G |
د، ذ |
d |
دلتا |
delta |
d |
D |
إممالة صغيرة |
إي |
ei |
e |
E |
|
للعدد 6 |
سوو |
cou |
^ |
^ |
|
ز |
z |
زيتا |
zyta |
z |
Z |
إ، ى |
e |
إيتا |
yta |
y |
Y |
ث |
th |
ثيتا |
;yta |
; |
: |
ى |
i |
يوتا |
iwta |
i |
I |
ك |
k |
كبّا |
kappa |
k |
K |
ل |
L |
لولا/لافلا |
loula |
l |
L |
م |
m |
مي |
mi |
m |
M |
ن |
n |
ني |
ni |
n |
N |
إكس |
x |
إكسي |
xi |
x |
X |
أو |
o |
أو |
o |
o |
O |
ب |
p |
بي |
pi |
p |
P |
ر |
r |
رو |
ro |
r |
R |
س |
s |
سيما |
cima |
c |
C |
ت |
t |
تاف |
tau |
t |
T |
ى، و، ف |
u, v |
إبسيلون |
u'ilon |
u |
U |
ف |
ph |
في |
vi |
v |
V |
ك، خ، ش |
k, kh, sh |
كي، خي، شي |
,i |
, |
< |
بس |
ps |
بسي |
'i |
' |
" |
أوو |
au |
أوو |
w |
w |
W |
ش |
sh |
شاي |
sai |
s |
S |
ف |
ph |
فاي |
fai |
f |
F |
خ |
kh |
خاي |
qai |
q |
Q |
هـ |
h |
هوري |
hwri |
h |
H |
ج |
g, j |
جنجا |
janja |
j |
J |
تش |
ch |
تشيما |
[ima |
[ |
{ |
تي |
ti |
تي |
ti |
] |
} |
والحروف المتحركة في اللغة القبطية عددها 7، وهى: A E Y I O U W
والكنيسة القبطية ساندت ودعمت فكرة كتابة اللغة المصرية القديمة (القبطية) بحروف يونانية، بحسب النظام القبطي الحالي، لأسباب منها:
1- أن الخط الهيروغليفي والهيراطيقي والديموطيقي كان يَسْتَخْدِم رموز ترتبط بالآلهة والمعبودات المصرية القديمة، فرفضت الكنيسة هذه العلامات والرموز التي تربط الشعب بمعتقداته القديمة.
2- أن اللغة اليونانية كانت هي اللغة الرسمية لمصر حوالي 700 سنة (القرن الثالث قبل الميلاد إلى القرن الرابع الميلادي)، وهي اللغة التي كُتِبَ بها العهد الجديد، كما إنها هي اللغة التي تُرْجِمَ إليها العهد القديم من العِبرية إلى اليونانية (وهذه الترجمة المعروفة باسم الترجمة السبعينية). لذلك كان هناك نفور بين المصريين مما هو قديم وله ارتباط بالوثنية، وانجذاب نحو اليونانية لغة الإنجيل.
3- إن اللغة اليونانية هي لغة المصطلحات اللاهوتية، ولغة العلوم اللاهوتية، وهي أيضًا لغة الفلسفة.
4- إن اللغة اليونانية كانت منتشرة في الإسكندرية وبخاصة بين الصفوة والمثقفين، ولما كتبت لغة الشعب القبطية بالحروف اليونانية، فإنها ساعدت على أن تصبح لغة الكنيسة هي بعينها لغة الحياة اليومية للشعب -كما ذكرنا أيضًا هنا في موقع الأنبا تكلا هيمانوت في أقسام أخرى- وبالتالي ساعدت كثيرًا على التبشير بالمسيحية بين عامة الشعب.
5- تسهيل نقل وترجمة الكتابات الآبائية المسيحية المكتوبة باليونانية.
6- كما أن اللغة اليونانية كانت هي الأسهل والأقل عددًا في عدد الحروف (24 حرف)، بينما كانت العلامات المصرية هي الأصعب، وبالطبع كان الأسهل هو الأكثر انتشارًا. كما أن الحروف اليونانية كان فيها حروف متحركة، مما ساعد على دقة نطق اللغة.
** وبهذا جمعت اللغة القبطية بين أجمل ما في المصرية القديمة (من حيث قواعدها وكلماتها ومعانيها)، وبين أجمل ما في اللغة اليونانية (الأبجدية الأسهل والنطق الأدق)، وبهذا التكوين جمعت بين المصرية القديمة (لغة الحضارة والهوية والانتماء) وبين اليونانية (لغة الإنجيل واللاهوت والفلسفة). وأصبحت بذلك هي لغة الوطن، لغة مصر في تطورها الأخير، ولغة الكنيسة حتى يومنا الحاضر.
_____
(2) توضيح من الموقع: عدد الحروف 32 شاملًا حرف سو ^، والذي يُستخدم كرقم 6 فقط. فهناك بعض قوائم الحروف القبطية تعتبر عدد الحروف 31 من خلال عدم وضع هذا الحرف مع القائمة، ووضعه مع الأرقام فقط (ولكن كل الأرقام تستخدم أشكال الحروف فيما عدا رقم 6 الذي له شكل مستقل بذاته).
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تقصير الرابط:
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